Delhi University Admission 2024: सीबीएसई की 12वीं क्लास के नतीजों के बाद अब दिल्ली यूनिवर्सिटी एडमिशन की तैयारी में है। डीयू ने अपना रजिस्ट्रेशन पोर्टल मई के आखिरी हफ्ते में खोलने का ऐलान किया है। डीयू के अधिकारियों का कहना है कि इस बार भी एडमिशन की रेस पिछले साल की तरह ही होगी। स्टूडेंट्स और स्कोरर्स का रेश्यो देखते हुए पाया गया है कि स्कोरर्स की संख्या में थोड़ी सी वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के आने से 99%-100% की मारामारी कम हुई है, जिसके कारण स्कोरर्स की संख्या में भी कमी आ रही है।
Delhi University Admission
2023 के रिजल्ट के मुकाबले 2024 में 95% और इससे ज्यादा अंक लाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या में 1,446 इजाफा हुआ है। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह सिर्फ 0.12% का इजाफा है। वहीं, 90% और इससे ज्यादा स्कोर वाले 3,307 स्टूडेंट्स हैं। स्टूडेंट्स और स्कोरर्स के अनुपात के हिसाब से यह 0.36% की बढ़ोतरी है। डीयू के अधिकारियों का कहना है कि यह लगभग पिछले साल की तरह की स्थिति है। ऐसे में एडमिशन के लिए कॉम्पिटिशन पिछले साल की तरह ही रहेगा।
DU Seats: कम मार्क्स वालों को भी मिल रही हैं बोर्ड में सीटें
दिल्ली यूनिवर्सिटी की डीन एडमिशंस प्रो. हनीत गांधी कहती हैं, अगर सीयूईटी के पहले के दौर को देखें तो स्कोरर्स की संख्या घटी है। इस बार स्टूडेंट्स की संख्या ज्यादा है तो स्कोरर्स भी ज्यादा। लगभग पहले जैसे ही स्थिति है, तो पिछले साल की तरह से डीयू की रेस रहेगी। हालांकि, हमने दो साल में यह जरूर देखा कि सीबीएसई मार्क्स के लिए होड़ बहुत कम हुई है। बोर्ड का टेंशन कम हुआ है।
यह भी ट्रेंड दिख रहा है कि सीबीएसई एग्जाम में जो अच्छा कर रहे हैं, वो सीयूईटी में भी अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं। क्योंकि दोनों का सिलेबस एनसीईआरटी किताबों पर आधारित है। हालांकि, पहले 98%-100% पाने वाले टॉप कॉलेज में जा रहे थे। अब 85% से 95% वाले भी सीट हासिल कर रहे हैं।
अगर छात्र अपनी स्कूली पढ़ाई को संतुलित करते हुए इसकी तैयारी करते हुए अंकों की दौड़ से दूर होते जा रहे हैं तो यह एक अच्छा चलन है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद नंबरों की दौड़ कम हो रही है।
CUET के बावजूद बोर्ड नंबर से तय होती है सीट!
देशभर के सीनियर सेकेंडरी स्कूलों की निजी संस्था नेशनल प्रोग्रेसिव स्कूल कॉन्फ्रेंस की कार्यकारी सदस्य सुधा आचार्य का कहना है कि 12वीं कक्षा के अंकों को लेकर लड़ाई कम करना एक अच्छा चलन है। लेकिन CUET के लिए भी ऐसा नहीं होना चाहिए. खासकर डमी स्कूलों को बढ़ावा देने वाली कोचिंग का चलन ठीक नहीं है. हमने यह भी देखा है कि जिन बच्चों ने बोर्ड के लिए अच्छी पढ़ाई की, उन्होंने सीयूईटी में भी अच्छा स्कोर किया। इसके अलावा, CUET में, यदि कई छात्रों का स्कोर समान है, तो एक टाईब्रेकर होता है और सीट बोर्ड अंकों के आधार पर तय की जाती है।